श्रीमद् भगवद् गीता के विचारों को सरल हिन्दी में लिखकर डॉ. अलका हर्ष ने प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘श्रीमद् भगवद्गीता प्रभा’ में पाठकों का आध्यात्मिकता से परिचय कराया है। जीवन की वास्तविकता को समझाने की कोशिश की है। भाषा को सरल बनाया है ताकि गीता की आवाज हर किसी तक पहुंचे।
वे लिखती हैं: ‘श्रीमद् भगवद् गीता का अर्थ है श्री भगवान का विचार गीत। वह गीत जो भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में कौर पाण्डवों के बीच हुए महायुद्ध से पहले शोकाकुल और युद्ध-विरक्त अर्जुन का आत्मबल जागृत करने के लिए गाया।’
‘श्रीमद् भगवद्गीता प्रभा’ में 18 अध्याय दिये गये हैं। इस पुस्तक को जोरबा बुक्स ने प्रकाशित किया है। डॉ. अलका हर्ष ने हर अध्याय के प्रारंभ में सरल और स्पष्ट भाषा में उसका सार दिया है।
‘गीता 700 श्लोकों का काव्य संग्रह है जिससे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं संशयहीन शिक्षा के गूढ़तम रहस्य, नियमों और निर्देशों सहित अर्जुन को समझाते हुए सारे विश्व के लिए स्पष्ट रुप में सरलता से गाए हैं। ‘श्रीमद् भगवद्गीता प्रभा’ इसी गीत का हिन्दी सरलीकरण है। स्वयं श्री कृष्ण भगवान का निर्गुण-सगुण शब्द रुप। जिसे किसी टीका, टिप्पणी अथवा जोड़तोड़ के बिना, श्रीकृष्ण का यथारुप समझ कर जीवन में उतारा जाना चाहिए।’
पहले अध्याय में अर्जुन के संशय को बहुत सजीवता से बताया गया है। वे शोकाकुल हो कर न लड़ने का निश्चय कर लेते हैं और रथ की ओट में बैठ जाते हैं। अगले अध्याय में श्रीकृष्ण अर्जुन को ‘सांख्य दर्शन समझा कर ज्ञान मार्ग द्वारा बुद्धि से कर्म योग अपनाने’ की सलाह देते हैं। इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय में जीवन को गहरायी से समझने का पूरा अवसर प्राप्त होता है। एक-एक अध्याय ध्यानपूर्वक पढ़ा जाये तो वह जीवन का सार है।
श्रीकृष्ण का संदेश इस पुस्तक के जरिये जन-जन तक पहुंचेगा। डॉ. अलका हर्ष कहती हैं:‘श्रीमद् भगवद्गीता का संस्कृत से अंग्रेजी भाषा में कई विद्वानों द्वारा भाषान्तर भी किया गया और विश्लेषण भी। इसी प्रकार संस्कृत से हिन्दी भाषा में भी भाषान्तर एवम विश्लेषण किये गये हैं। परंतु संभवतः उनके आधुनिक, सामयिक तथा सटीक न होने या अन्य किन्हीं कारणों से श्रीमद् भगवद्गीता का ज्ञान व संदेश जन-जन तक अभी नहीं पहुंच पाया है। अतः इस उद्देश्य से कि यह श्री भगवान द्वारा गाया गया ज्ञान और भी सरल, सहज और स्पष्ट रुप से आम लोगों में विस्तारित हो।’
यह पुस्तक हमें आध्यात्मिका के ऐसे संसार में ले जाती है जहां पाठक को शांति का अनुभव होता है। हर अध्याय अपने में इतना कुछ समेटे हुए है कि उसकी व्याख्या अलग-अलग ढंग से की जा सकती है। यह भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का प्रभाव है कि हर वाक्य विचारों की एक गठरी है जिसे खोलकर जिंदगी की उलझी परतों को बारीकी से समझा जा सकता है।
आत्मा और परमात्मा के बीच का अंतर स्पष्ट होने लगता है। कर्म और धर्म की बात समझ आने लगती है। मनुष्य किस मकसद से धरती पर जन्म लेता है और किस उद्देश्य से वह यहां समय व्यतीत करता है, उसका भी ज्ञान इस पुस्तक को पढ़ते समय हो जाता है। ज्ञान के अथाह सागर की तरह यह पुस्तक जीवन की हमारी समझ को विकसित करती है। ऐसी किताबें उम्र के बंधनों को नहीं मानतीं, जब आप पढ़ना सीखते हैं तो अध्यात्म से जुड़कर जीवन को सफल बनाया जा सकता है। बच्चे, युवा और उम्रदराज, गीता का यह सरल ज्ञान हर किसी के लिए है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसे अपने जीवन में उतारें और चमत्कार होते हुए देखें। सच में यह पुस्तक जीवन के मायने बदल देगी। आपको ऐसी अनुभूति करायेगी कि तमाम जिंदगी आप इसके आभारी रहेंगे क्योंकि गीता का सार ही जीवन का सार है।
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'श्रीमद् भगवद् गीता प्रभा’
डॉ. अलका हर्ष
'श्रीमद् भगवद् गीता प्रभा’
डॉ. अलका हर्ष
ज़ोरबा बुक्स
पृष्ठ : 145
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