जब जिंदगी के रंग एक ख्वाब की तरह हो जायें, तो शब्दों में गर्माहट आ जाती है। फैज़ान खान ने अपनी कविताओं के माध्यम से अपनी बात पंछियों की तरह कही है, तो कही वे इंसानी बस्तियों में खुद को कैद पा रहे हैं। कहीं उनके शब्दों में गहरायी पनपने लगती है और कहीं वे रंगों में खो जाते हैं। वे ख़ामोश हैं। वे मन के कोनों को टटोलते हुए कुछ अलग रच रहे हैं।
‘रंगों में बेरंग’ में फैज़ान की नज़्में खुद से संघर्ष करती नज़र आ रही हैं। ऐसा लगता है जैसे उन्हें किसी की तलाश है। ऐसा भी लगता है जैसे वे अपना वजूद खोज रही हैं। मन कुछ कहता है, मन कुछ करना चाहता है। एक छटपटाहट है जिनसे हर कोई दो-चार होता है। ज़िन्दगी की बारीकियों में समंदर गोते लगाता महसूस होता है जैसे कुछ भरना चाहता हो।
फैज़ान उड़ान भरना चाहते हैं। वे ज़िन्दगी को समझना चाहते हैं। शब्द उलझे हुए हैं, और सरल भी, लेकिन उधेड़बुन में स्वयं पार निकलना चाहते हैं।
ये पंक्तियां देखिये :
‘मुझको भी उड़ने दो
अपनों से बिछुड़ने दो
लहरों के समुंदर में
एक छोटा-सा छेद करने दो..’
शब्दों में ज़िन्दगी को समेट रहे हैं। कब्र की नाप की बात चल पड़ी है। गहरायी भरी सोच कुछ आगे जा रही है। यह बताने की कोशिश भी है कि सबकुछ इतना आसान नहीं होता। दौराहे पर रहें आसान नहीं होतीं।
देखें :
‘मेरे अलफ़ाज़ खो रहे हैं कहीं
चलो कि कब्र की नाप ले ली जाए
मेरी हंसी कहीं पीछे छूट रही है
चलो कि उस कंचे को फोड़ दिया जाए..’
साथ में :
‘कुछ सिक्के ज़मीन पर बिखरे पड़े हैं
मैं उन्हें उठाना नहीं चाहता
कुछ इश्क में डूबी चिट्ठियां दरख्त में दबी पड़ी हैं
मैं उनके जवाब देना नहीं चाहता..’
‘रंगों में बेरंग’ ज़िन्दगी में बिखरे हुए रंग हैं। फैज़ान उन्हें समेट रहे हैं ताकि ज़िन्दगी रंगों से सुंदर हो जाये। वे भावनाओं में उतरे हुए गीलेपन को भी समझ रहे हैं और हमें समझा रहे हैं। कुछ रंग ऐसे हैं जो अपनी कहानी कह रहे हैं। कुछ रंग ऐसे हैं जो खुद की तलाश में जी रहे हैं। कुछ रंग हैं जो छिटककर बिखर गये हैं।
शब्दों की ताक़त को उन्होंने महसूस करने की इजाज़त दी है। फैज़ान अभी शब्दों से कसरत करने की कोशिश में हैं। वे धीरे-धीरे स्वयं को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें पढ़कर ऐसा लगता है कि वे सीख रहे हैं ताकि और बेहतर किया जा सके। कई जगह आप उनकी परिपक्वता की दाद दे सकते हैं लेकिन हर जगह उम्दा करने के लिए भी वे जुटे हैं। उम्मीद है उनकी अगली पुस्तक खूबसूरती के अधिक उजले रंगों के साथ हमारे सामने होगी।
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'रंगों में बेरंग’
फैज़ान खान
'रंगों में बेरंग’
फैज़ान खान
प्रकाशक : हिन्द युग्म
पृष्ठ : 96
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