हर किसी का जीवन चिंताओं से घिरा है। चिंतायें पीछा नहीं छोड़तीं। ऐसा लगता है जैसे उन्हें सुलझाने या उनसे पार पाने में हम अपनी आधी जिंदगी यूं ही बिता देते हैं। छोटी परेशानी बड़ी चिंता बन जाती है। वक्त और पैसा भी बर्बाद हो जाता है। यदि चिंताएं बाधा न बनें तो कैसा रहे या फिर उनसे मुकाबला कर आगे बढ़ने का सरल रास्ता हो, तो क्या बात हो। लेखक डेल कारनेगी ने लंबे अध्ययन और तजुर्बे के बाद एक पुस्तक लिखी जिसे पढ़ने के बाद कोई भी खुद को बेमतलब की चिंता से आसानी से मुक्त कर सकता है।
‘How to Stop Worrying and Start Living’ को मंजुल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक की 6 मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। लेखक डेल कारनेगी ने जीवन अनुभवों के आधार पर इस बहुमूल्य किताब को लिखा है।
शुरुआत में ही आपको पता लग जाता है कि यह पुस्तक कैसे और क्यों लिखी गयी। डेल कारनेगी लिखते हैं:‘1990 में मैं न्यूयॉर्क के दुखी युवकों में से था। मैं मोटर ट्रक बेचकर रोजी कमाता था। मुझे अपने काम से नफरत थी। कॉकरोचों से भरे अत्यंत सामान्य रुप से सजे कमरे में रहना मुझे पसंद नहीं था। सस्ते और गंदे रेस्टोरेंट में भोजन करना मुझे अच्छा नहीं लगता था।’
‘मैंने समझ लिया कि नेतृत्व उस व्यक्ति को मिलता है जो खड़ा होकर अपने विचार व्यक्त करे।’
‘मैंने न्यूयॉर्क के सार्वजनिक पुस्तकालय में 22 पुस्तकों को पढ़ा। इसके अलावा चिंता पर लिखी जितनी भी पुस्तकें मिल सकीं खरीद लीं। लेकिन उनमें से एक भी ऐसी नहीं थी जिसे मैं अपनी कक्षा के प्रौढ़ विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तक के रुप में प्रयोग में लाता। इसलिए मैंने स्वयं एक ऐसी पुस्तक लिखने का निश्चय किया।’
‘यह पुस्तक हमारे चिंतापूर्ण जीवन से छुटकारा पाने के लिए सफल और प्रमाणिक नुस्खों का एक संकलन है।’
डेल कारनेगी ने सबसे अच्छी बात लिखी है जिसे पढ़कर कोई भी प्रभावित हो सकता है। वे लिखते हैं कि कल पर विचार जरुर कीजिये, उस पर मनन कीजिये, योजनायें बनाइये, तैयारियां कीजिये, लेकिन उसके लिए चिंतित मत होइये।
16 तरीके से यह पुस्तक आपकी मदद करेगी. कुछ तरीके ये हैं:
⬛ चिंतात्मक स्थितियों को सुलझाने के लिए कई व्यावहारिक, परीक्षण किए गए फॉरमूले प्रदान करेगी.
⬛ व्यवसाय की 50 प्रतिशत चिंतायें तुरंत कैसे समाप्त करें.
⬛ आलोचना को फायदे में कैसे बदलें.
⬛ अपने कामकाजी जीवन में प्रति दिन एक घंटा कैसे जोड़ें.
⬛ भावनात्मक परेशानी से कैसे बचें.
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साथ ही किताब में कई महान लोगों के विचार भी दिये गये हैं जिन्होंने चिंता से मुक्ति पायी और सफलता के नये शिखर छुए.
⬛ चिंतात्मक स्थितियों को सुलझाने के लिए कई व्यावहारिक, परीक्षण किए गए फॉरमूले प्रदान करेगी.
⬛ व्यवसाय की 50 प्रतिशत चिंतायें तुरंत कैसे समाप्त करें.
⬛ आलोचना को फायदे में कैसे बदलें.
⬛ अपने कामकाजी जीवन में प्रति दिन एक घंटा कैसे जोड़ें.
⬛ भावनात्मक परेशानी से कैसे बचें.
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साथ ही किताब में कई महान लोगों के विचार भी दिये गये हैं जिन्होंने चिंता से मुक्ति पायी और सफलता के नये शिखर छुए.
पुस्तक को सात भागों में बांटा गया है :
1. चिंता के विषय में मूलभूत तथ्य जो आपको मालूम होने चाहिए.
2. चिंता का विश्लेषण करने की मूलभूत तकनीकें.
3. चिंता आपको खत्म कर दे उससे पहले चिंता को मिटा दें.
4. सात तरीके जिनसे मन में सुख-शांति रहे.
5. चिंता को जीतने का सही तरीका.
6. आलोचना की चिंता से बचने का तरीका.
7. थकान और चिंता तथा जोश और ऊर्जा बढ़ाने के 6 नुस्खे.
1. चिंता के विषय में मूलभूत तथ्य जो आपको मालूम होने चाहिए.
2. चिंता का विश्लेषण करने की मूलभूत तकनीकें.
3. चिंता आपको खत्म कर दे उससे पहले चिंता को मिटा दें.
4. सात तरीके जिनसे मन में सुख-शांति रहे.
5. चिंता को जीतने का सही तरीका.
6. आलोचना की चिंता से बचने का तरीका.
7. थकान और चिंता तथा जोश और ऊर्जा बढ़ाने के 6 नुस्खे.
डेल कारनेगी ने सरल भाषा में जीवन की सच्चाई को बताया है। उन्होंने पाठकों को ऐसे विषय से रुबरु कराया है जिसका सरोकार हर किसी से है। कोई भी चिंता से मुक्त नहीं है।
चिंता चिता के समान है :
लेखक कहता है कि जो लोग चिन्ता से लड़ना नहीं जानते वे जल्द परलोक सिधार जाते हैं। वैज्ञानिक भी इसे मानते हैं कि चिन्ता शरीर को खोखला बना देती है। मन को अस्थिर और बुद्धि का ह्रास करती है। एक स्वस्थ्य व्यक्ति ही जीवन के सुख का आनंद ले सकता है। एक रोगी तो निराश ही रहता है। इसलिए चिंता को छोड़कर खुद से सवाल कर जीने का तरीका बदलें और चमत्कार होता हुआ देखें।
डेल कारनेगी ने चिन्ता का विश्लेषण करने के कुछ सरल तरीके भी सुझाये हैं। वे कहते हैं कि पहले तथ्यों का आकलन कीजिये। आधी चिंताएं इसलिए होती हैं कि लोग अपने निर्णय के आधार को जाने बिना ही निर्णय करने का प्रयास करते हैं। दूसरा नियम है, सभी तथ्यों की सावधानी से छानबीन करने के बाद निर्णय लीजिये। तीसरे नियम के मुताबिक एक बार सावधानी से निर्णय लेने पर कार्य को तल्लीनता से आरंभ कर दीजिये। चौथे नियम के अनुसार किसी समस्या पर विचार करने से पहले कुछ सवाल खुद से पूछ कर हल करें। मसलन समस्या क्या है, उसका सबसे सटीक समाधान क्या है, आदि।
चिंता कुछ नहीं है, दिमाग की उपज है :
पुस्तक का तीसरा भाग सबसे महत्वपूर्ण बातें बताता है। इसमें चिंताओं से मुक्ति के लिए खुद को व्यस्त रखने की सलाह दी गयी है। व्यस्त रहकर चिंताओं के जमघट से अपने दिमाग को बाहर रखना सबसे बेहतर है। जितना काम करेंगे उतना व्यर्थ की बातों को सोचने का मौका नहीं मिलेगा। जब दिमाग चिंता के बारे में सोचेगा नहीं, तो चिंता कैसे होगी। छोटी-छोटी बातों पर परेशान मत होइये। छोटी बातें दीमक की तरह जीवन को नष्ट कर देती हैं। डेल कारनेगी ने बड़ी बात यह कही है कि यदि आप परिस्थितियों को बदल नहीं सकते और उनमें बदलाव नहीं कर सकते तो उन्हें जस का तस रहने दीजिये। चिंताओं को सीमित कीजिये और उन्हें अधिक भाव न दीजिये। चिंता कुछ नहीं है, वह हमारे दिमाग की उपज है।
आप वैसे ही हैं जैसे आपके विचार हैं :
लेखक ने महान दार्शनिक मारकस ओलियस के विचार साझा किये हैं। उन्होंने कहा था,‘हमारा जीवन वैसा ही होता है जैसा विचार उसे बनाते हैं।’ हम सुखद विचार रखते हैं तो सुखी होंगे। दुखद विचार रखते हैं तो दुखी होंगे। भयावह विचार भयभीत करेंगे, अस्वस्थ विचार हमें अस्वस्थ रखेंगे। यदि असफलता के बारे में सोच रहे हैं तो निश्चित ही असफल रहेंगे। र्नोमन विंसेन्ट का कथन है,‘आप वैसे नहीं हैं जैसा आप खुद को समझते हैं। आप वैसे ही हैं जैसे आपके विचार हैं।’
उन चीजों को महत्व दीजिये जो आपके पास हैं :
यह किताब सुखी जीवन के बेहतरीन तरीके सुझाती है। उपकार से आनंद प्राप्त करने की बात करने वाली यह पुस्तक हमें हमारी नेमतों को याद करने की सलाह देती है। हमें उन चीजों को याद रखना चाहिए जो हमारे पास हैं, न कि उन्हें जो हमारे पास नहीं हैं। दूसरों को देखकर परेशान होना मानसिक अवस्था के लिए घातक है। इससे जीवन नीरस और दुखी हो जाता है।
दूसरों की नकल करना कभी भी सफलता नहीं दिला सकता। खुद को पहचानकर आगे बढ़ना शानदार परिणाम देता है।
डेल कारनेगी ने बहुत ही सरलता से समझाया है कि दूसरों की आलोचना के बजाय खुद की गलतियों को पहचानकर उन्हें सुधारिये।
समस्या तुरंत हल कीजिये, कल पर मत छोड़िए :
व्यावहारिक आदतों का जिक्र करते हुए लेखक ने कहा है कि अपनी डेस्क पर केवल उन्हीं कागजातों को रखिये जिनकी जरुरत हो। बाकी को वहां से हटा दीजिये। अपने काम का क्रम उसके महत्व के अनुरुप निर्धारित कीजिए। समस्या को हल करने के लिए यदि तथ्य मौजूद हैं तो उसे तुरंत हल कर लीजिये, कल पर मत छोड़िए। अपने काम को व्यवस्थित करना चाहिए।
आखिरी भाग में लेखक ने चिंता और थकान रोकने के लिए काम करने में अपना उत्साह बढ़ायें। पूरी नींद लीजिये और व्यायाम कीजिए। लेखक ने अनिंद्रा से बचने के उपाय भी बताये हैं।
डेल कारनेगी ने दुनियाभर के अनगिनत लोगों की जिंदगी को चुटकी में बदल दिया है। उनकी किताबें चमत्कार की तरह काम करती हैं। वे जादू भरी बातें नहीं कहते, बल्कि ऐसे आसान उपाय बताते हैं जिन्हें अपनाकर जिंदगी में जादू किया जा सकता है। इस पुस्तक को पढ़िये और चिंता से मुक्ति पाइये, सुखी जीवन आपका इंतजार कर रहा है।
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'How to Stop Worrying and Start Living’
लेखक : डेल कारनेगी
'How to Stop Worrying and Start Living’
लेखक : डेल कारनेगी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 253
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