‘गॉड इज़ अ गेमर' : आभासी दुनिया के स्याह पहलुओं की रोचक कहानी

पाठकों को उस दुनिया से रुबरु कराया गया है, जहां रिश्ते-नाते नहीं, पैसा बोलता है.

कहानी दिलचस्प मोड़ ले तो समझिए लेखक ने उसे रचने के लिए बहुत मेहनत की है। घटनाओं का रोचक तानाबाना पाठक को सन्न कर दे और वह एक पन्ने के बाद दूसरे पन्ने के बाद, तीसरे के बाद तेजी से आगे बढ़ता जाये तो समझिए लेखक पाठक की नब्ज़ पहचानता है। रवि सुब्रह्मण्यन वह लेखक हैं जो कहानी को जबरदस्त तेज़ी के साथ कहना जानते हैं। उनकी पुस्तक ‘गॉड इज़ अ गेमर’ से यह साबित हो जाता है।

यह पुस्तक कई मायनों में अलग है। एक ऐसी कहानी जिसमें बिटकाइंस को लेकर चौंकाने वाली बातें हैं। यह मुद्रा क्या है, कैसे काम करती है, भी आप जान जायेंगे। हालांकि भारत में बिटकाइंस के बारे में लोगों के पास उतनी जानकारी नहीं हैं, लेकिन यह हमारी समझ को दुरुस्त करता है।

पाठकों को उस दुनिया से रुबरु कराया गया है, जहां रिश्ते-नाते नहीं, पैसा बोलता है। कॉर्पोरेट जगत के कई स्याह और मजेदार पहलुओं को पढ़कर हम यह जानेंगे कि वर्चस्व की जंग में सब जायज़ है।

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‘गॉड इज़ अ गेमर’ एक दिलचस्प कहानी है, जो पाठक को मुंबई की गलियों से गोवा के समुद्र तट तक और वाशिंगटन की आलीशान इमारतों से न्यूयॉर्क की वित्तीय राजधानी तक ले जाती है। एक ऐसी कहानी, जो पाठक को अज्ञात स्थानों की, जिन्हें किसी ने नहीं देखा, सैर कराती है, लेकिन उनका एहसास कईयों ने किया है -वह स्याह वेब। इंटरनेट का नाजुक हिस्सा और इन सबके बीच, मानव भावनाओं की एक कहानी है। एक पिता, जिसका बेटा लौट आता है, एक राजनेता जो बेबाक है, एक बैंक का सीईओ, जिसे एक राज़ सीने में दफ़न रखना है। इस दलदल में फंसा है एक पुराना बैंकर, जिसकी गेमिंग कंपनी तबाह होने वाली है; एक बीस वर्षीय जोड़ा जो प्यार की तलाश में है; और एक एफबीआई एजेंट, जो अपने परिवार को भूलने के लिए अपने आपको काम में डुबो देना चाहता है।
इन सारी कहानियों के बीच बुनी गयी है बिटकाइंस की कहानी -वह आभासी मुद्रा जिसने दुनिया में तहलका मचा दिया है। अगर इस किताब के कुछ हिस्से आपको डरा दें, दहशत पैदा कर दें और आपको ऐसा लगे कि क्या वास्तव में ऐसी बातें होती हैं तो यकीन मानिए, इस किताब के कई चौंका देनेवाले क्षण वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित हैं।
रहस्य, रोमांच और सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपस्थिति का प्रतिफल अहसास कराने वाला अत्यंत पठनीय उपन्यास।’

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कहानी भारत और अमेरिका में घट रही है। अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी.सी. में बख्तरबंद मर्सिडीज़ कार में विस्फोट के बाद उत्सुकता की शुरुआत होती है। भारत की राजधानी नई दिल्ली में एक ख़ाते से हजारों रुपये उड़ाये जाते हैं। गोवा में एक जोड़ा मिलता है। मुंबई में गेमिंग कंपनी दबाव में है, तभी वर्षों बाद बेटे के विचार से परिस्थितियां हैरान करने वाले तरीके से बदल जाती हैं। इस उथलपुथल के पीछे नौजवान मगर शातिर दिमाग अपना काम करता है। न्यूयॉर्क में एक भारतीय युवा इंटरनेट के स्याह पन्नों को लिखने में लग जाता है।

गोवा में एक नाईजीरियाई शख्स की हत्या के बाद कहानी रोचकता से आगे बढ़ती है। मौतें होती रहती हैं। पाठक को और उत्सुकता होती है। वह अनसुलझी गुत्थियों को जानने के लिए एक तरह से बेचैन भी हो सकता है।

लेखक रवि सुब्रह्मण्यन ने जो घटनाएं बुनी हैं, वे दिलचस्प मोड़ों को पार करती हुई दौड़ती हैं। एक के बाद एक मोड़ हमें किताब से दूर नहीं जाने देता।

एफबीआई और सीबीआई की कार्यप्रणाली को नज़रअंदाज नहीं किया गया। एक वैश्या के ब्लॉग से सवाल पेचीदा हो जाते हैं जिनके खुलासे होते हैं। बिटकाइंस के कारण साजिशों की ऐसी इबारतें लिखी गयीं कि कहानी का अंतिम चरण जबरदस्त हो जाता है। उलझे तार एक-एक कर खुलने शुरु हो जाते हैं।

पुस्तक आभासी दुनिया के स्याह पहलुओं की रोचक कहानी है जिसे उत्साह के साथ पढ़ा जा सकता है।

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रवि सुब्रह्मण्यन IIM बेंगलुरु के छात्र रहे हैं. 2008 में उनके पहले उपन्यास 'इफ़ गॉड वाज़ ए बैंकर' को गोल्डन क्विल रीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया. 2012 में 'द इनक्रेडिबल बैंकर' को इकोनॉमिस्ट क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड तथा वर्ष 2013 में 'द बैंकस्टर' के लिए क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड दिए गए.
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‘गॉड इज़ अ गेमर'
लेखक : रवि सुब्रह्मण्यन
अनुवाद : पारितोष मालवीय
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ : 320
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