लेखक लेस गिबलिन ने हमारी सोच और समझ को विकसित करने के लिए अपने उन्नत विचारों से सजी पुस्तक ‘लोक व्यवहार की कला’ लिखी है। इसमें उन्होंने पहले अध्याय के पहले वाक्य में स्पष्ट किया है कि ‘हम सभी जिंदगी में दो चीज़ें चाहते हैं -सफलता और खुशी।’ इसी से साफ हो जाता है कि किताब आपको वह सब बताने वाली है जिसकी आपको सबसे ज्यादा जरुरत है। किताब आपको वह सब हासिल करने के लिए ज्ञान देगी जो हर किसी की चाह होती है। साथ ही किताब आपको वह सब सिखायेगी जिसकी वजह से आप दूसरों पर विजय पा सकते हैं। तेजी से पढ़ी जानेवाली यह पुस्तक किसी खजाने से कम नहीं है।
‘लोक व्यवहार की कला’ बहुचर्चित लेखक लेस गिबलिन द्वारा अंग्रेजी में लिखी पुस्तक ‘The Art of Dealing with People’ का हिन्दी अनुवाद है। अनुवादक डॉ. सुधीर दीक्षित हैं।
लेखक ने किताब को 11 अध्याय में विभाजित किया है। हर अध्याय अहम बात कहता है। सबसे पहले लेखक ने मानव संबंधों के विषय में चर्चा की है। वह कहता है कि जीवन में 90 फीसदी लोगों के असफल होने का कारण उनका व्यवहार होता है। यदि हम अपना व्यवहार बेहतर कर लेंगे और दूसरों को प्रभावित कर पायेंगे तो लोग स्वतः ही हमारी ओर आकर्षित होंगे और सफलता निश्चित है। अपनी अन्य पुस्तक ‘लोक व्यवहार में कुशलता’ में लेखक ने व्यवहार के बारे में विस्तार से बताया है।
लेस गिबलिन ने एक अहम बात कही है: ‘मानव संबंधों में योग्यता भी किसी अन्य क्षेत्र में योग्यता हासिल करने जैसी है। यहां भी सफलता कुछ बुनियादी सिद्धांतों को समझने और उनमें माहिर बनने पर निर्भर होती है। आपको सिर्फ यह पता होना चाहिए कि क्या करना है, बल्कि यह भी पता होना चाहिए कि आप इसे क्यों कर रहे हैं।’
किताब में स्पष्ट किया है कि दूसरों को प्रभावित करना चालाकी नहीं होती बल्कि वह एक कला है। प्रभावित करना आसान काम नहीं होता मगर उसका भी एक तरीका होता है जो हमें शिखर पर पहुंचा सकता है।
अध्यात्मिकता की बात भी पुस्तक में की गयी है। हेनरी काईसर का जिक्र करते हुए कहा गया है कि आप स्वतः ही अच्छे मानवीय संबंधों का अभ्यास करने लगेंगे, यदि आप यह याद रखें कि हर इंसान महत्व रखता है क्योंकि वह एक ईश्वर की संतान है।
लेस गिबलिन ने जीवन के चार तथ्यों को बताया है जिनमें अहंकारी होना भी एक तथ्य है। हर व्यक्ति खास है और हर कोई चाहता है, उसे स्पेशल समझा जाये। यदि हम खुद के साथ अच्छे हैं, तो दूसरों के साथ भी अच्छे पेश आयेंगे। हमें स्वयं को बेहतर पसंद करना शुरु कर देना चाहिए। यह हमारे जीवन को बदल देगा।
दूसरों की प्रशंसा करने की आदत पर लेखक ने जोर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि प्रत्येक दिन कम से कम पांच सच्ची प्रशंसा करें, फिर देखें आपके संबंध कितने अच्छे हो जायेंगे।
पुस्तक हमें जीवन के उस नजरिये से रुबरु कराती है जिसे हमारे लिए जानना आवश्यक है। यह लोगों के साथ व्यवहार करने की कला की बारीकियों को सरलता से समझाती है। यह हमें खुद के बल पर प्रयोग करने की सलाह देती है जिसे हम कर सकते हैं। साथ ही पुस्तक को पढ़कर नामुमकिन को मुमकिन किया जा सकता है। जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए खुद को प्रेरित किया जा सकता है।
दूसरों को खास महसूस कराने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लेस गिबलिन लिखते हैं:‘इसमें आपका कुछ भी खर्च नहीं होता और आपको यह डर भी नहीं होता कि यह कभी खत्म हो जायेगी। आपको दूसरों से अपनी मनचाही चीज़ मिलेगी या नहीं, यह चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। मुहावरे की भाषा में, जब आप पानी में रोटी डालते हैं, तो यह हमेशा कई गुना होकर आपकी ओर लौट आती है।’
उन्होंने दूसरों को महत्वपूर्ण महसूस कराने के चार तरीके बताये हैं। इन तरीकों को लेस गिबलिन ने बेहद सरलता से समझाया है। वे चाहते हैं कि उनकी कही हर बात का पाठक पर असर हो इसलिए उनकी शैली सरल, प्रभावपूर्ण और रोचक होती है।
पुस्तक आपको यह बताने की कोशिश आखिरी पन्ने तक करती है कि आपको कुछ भी खरीदकर लाने की जरुरत नहीं, सब आपके पास है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उसे किस तरह प्रयोग करते हैं। लेकिन पुस्तक पढ़कर आप हर अध्याय के बाद जानते जायेंगे कि उसे करने का बेहतर तरीका क्या होता है। हम अपने व्यक्तित्व को चुंबकीय बना सकते हैं। उसके लिए लेखक कुछ तरीके बताता है। चाल, आवाज, मुस्कान पर गौर कर हम खुद को पारंगत बना सकते हैं। ये बातें छोटी जरुर लग सकती हैं लेकिन महत्व बहुत रखती हैं।
लोगों को आकर्षित करने के लिए लेखक लेस गिबलिन ने एक त्रिकोणीय फॉमूर्ले के बारे में समझाया है। यह फॉर्मूला आकर्षण की महत्ता को समझने में कारगर है।
आमतौर पर हम असफल इसलिए भी हो जाते हैं क्योंकि हम संवाद करने की बुनियादी चीजों को जानते ही नहीं। इसके लिए लेखक ने कई तरीके सुझाये हैं। किसी भी बातचीत को करने से पहले, करते समय और बाद में कुछ बातों पर गौर करना आवश्यक है, जिसे बताया गया है। इनका अभ्यास जरुरी है और आदत में शामिल करना सबसे अहम।
लोक व्यवहार में कुशलता : दूसरों को प्रभावित करने के सरल तरीके
सुनने की कला में माहिर होने के लिए लेखक विशेष जोर दिया है। लेखक कहता है कि यदि आप गौर से दूसरों को सुनेंगे, तो वे आपको बता देंगे कि वे क्या चाहते हैं। सुनने से चतुर बना जा सकता है। वहीं बहुत अधिक बोलने से हमारे भेद खुल जाते हैं। सुनने का अभ्यास करने के तरीके लेखक ने समझाये हैं।
लेखक कहता है कि किसी को सहमत कराना या किसी बहस को जीतने का एकमात्र तरीका सामने वाले को उसकी मानसिकता बदलने के लिए राजी करना है। लेस गिबलिन ने बहस जीतने के नियम भी बताये हैं। उन्होंने धन्यवाद कहने के लिए 6 नियम लिखे हैं जिनके पालन से हम अपना जीवन बदल सकते हैं।
अंतिम अध्याय में लेखक ने आलोचना पर विस्तार से लिखा है। लोगों को आहत किये बिना उनकी आलोचना किस तरह करनी चाहिए। इसे उन्होंने ‘आलोचना के अनिवार्य गुण’ बताया है।
‘लोक व्यवहार की कला’ पुस्तक हमें व्यावहारिक होने के तरीके समझाती है। हमें अपनी तकदीर बदलने के लिए जरुरी नियमों को बताती है। किताब कहती है: ‘लोक व्यवहार की कला आपको ऐसे उपाय बताती है जिनके द्वारा आप लोगों से व्यवहार के कौशल को ऐसे स्तर तक ले जा सकेंगे जिसे आप कभी नामुमकिन मानते थे।’
यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो अपना जीवन बदलना चाहते हैं और जिंदगी का असली आनंद लेना चाहते हैं।
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'लोक व्यवहार की कला’
'लोक व्यवहार की कला’
लेखक : लेस गिबलिन
अनुवाद : डॉ. सुधीर दीक्षित
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 72
अनुवाद : डॉ. सुधीर दीक्षित
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 72
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