देवी यसोधरन का उपन्यास 'एम्पायर’ ऐतिहासिक कहानी को अलग अंदाज में कहता है। उन्होंने इतिहास के पन्नों का गूढ़ अध्ययन करने के बाद एवं अपनी कल्पना शक्ति के बल पर एक ऐसे उपन्यास को रच डाला जिसने चोला साम्राज्य की कहानी को नये सिरे से पाठकों के सामने पहुंचाया।
रोचक, कल्पनाशील और अनकही दास्तान जिसे बार-बार पढ़ा जा सकता है. एक महिला शूरवीर को लेकर पूरा उपन्यास बुनना लेखिका की जोखिम उठाने की क्षमता को दिखाता है और साहित्य में जोखिम प्रायः वही रचनाकार उठाते हैं जिन्हें कुछ नया करने का जुनून होता है.
यह कहानी चोलाओं की है, उनके पराक्रम, कौशल और कूटनीति की है। उनकी सांस्कृतिक विरासत और मजबूत इच्छाशक्ति से विजय हासिल करने की है। उस समय की महिला योद्धाओं के बारे में शायद इतिहास में कुछ खास दिया गया हो, लेकिन देवी यसोधरन ने चोला साम्राज्य की एक महिला योद्धा को हमारे सामने गहरायी के साथ प्रस्तुत किया है। यहां एरीमिस नामक महिला लड़ाका अपनी कहानी कहती है। उपन्यास उसी पराक्रमी, बेखौफ महिला के आसपास घूमता है जिसने अपना दायित्व बखूबी निभाया। उसने चोला राजा के महिला अंगरक्षक की भूमिका पूरी शिद्दत से निभाई।
एरीमिस जब 11 साल की थी तब उसे ग्रीक सेनाओं की हार के बाद चोलाओं को सौंप दिया गया। नागपट्टिनम में उसे प्रशिक्षित किया गया। निशानेबाजी में महारथ हासिल करने वाली महिला पराक्रमी को राजा राजेन्द्र चोला का अंगरक्षक नियुक्त किया गया। वह राजा की गुप्ता सिपाही के रुप में तैनात रही।
उपन्यास में एरीमिस और नौसेना सेनापति अपनी कहानी सुनाते हैं। चोलाओं के साम्राज्य की यह कहानी भयंकर उतार-चढ़ाव भरी है जिसमें परिस्थितियां बदलने पर रोमांच स्वतः ही बढ़ जाता है। लेखिका ने बहुत चतुराई से कहानी को लिखा है ताकि पाठक उनके साथ जुड़ा रहे। उन्होंने कहानी को भटकने से बचाया है। देवी का यह प्रयास सार्थक हुआ है और उन्होंने पात्रों और घटनाक्रमों की उपस्थिति इस तरह की दर्ज करायी है कि शब्द चित्रण करते हुए बोरियत न हो। संवादों में सभी पात्र अपनी बात अच्छी तरह से कह रहे हैं। संवाद बोझिल होना किसी भी कहानी की सबसे खराब बात हो सकती है, लेकिन यहां ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। देवी जिस मकसद से उपन्यास लिखने बैठी थीं, वह पूरा होता दिखाई दे रहा है।
रोचक, कल्पनाशील और अनकही दास्तान जिसे बार-बार पढ़ा जा सकता है। एक महिला शूरवीर को लेकर पूरा उपन्यास बुनना लेखिका की जोखिम उठाने की क्षमता को दिखाता है और साहित्य में जोखिम प्रायः वही रचनाकार उठाते हैं जिन्हें कुछ नया करने का जुनून होता है। देवी यसोधरन में वही जुनून है जिसके लिए उनके इस उपन्यास को पढ़ना बेहद जरुरी है। साथ ही उनकी अगली कहानी का भी पाठकों को बेसब्री से इंतजार रहेगा क्योंकि 'एम्पयार’ ने लेखिका के प्रति उत्सकुता और बढ़ा दी है।
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