‘दो कदम और सही’ मशहूर उर्दू शायर राहत इंदौरी की नुमाइंदा शायरी के संकलन की बेहतरीन किताब है। संकलनकर्ता सचिन चौधरी ने इस पुस्तक में संकलित शायरी को ‘सागर के चुनिंदा मोतियों’ का नाम दिया है। राहत साहब के विषय में स्वयं सचिन चौधरी लिखते हैं : 'सागर से कुछ चुनिंदा मोतियों को चुनने का काम बेहद मुश्किल जान पड़ा क्योंकि हर मोती मेरे सामने हाथ उठाकर खड़ा हो जाता था कि मैं क्यों नहीं, और मैं क्यों नहीं!' उन्होंने राहत साहब की उम्दा शायरी को बड़ी ही सुंदरता से सजाया है।
हकीकत में राहत इंदौरी उर्दू शायरी, ग़ज़ल और फ़िल्मी गीतों के ऐसे शिल्पी का नाम है जो उर्दू शायरी के चाहने वालों के दिल पर राज़ करता है। सचिन ने इस बेशकीमती संकलन के दौरान पुस्तक में प्रकाशित बेमिसाल शायरी को चार भागों में बांट दिया है।
इंदौरी साहब की नयी गज़लों को किताब के पहले भाग में रखा है। उसके बाद चुनिंदा ग़ज़लें, चुनिंदा अशआर तथा अंत में राहत साहब के फ़िल्मी गानों को स्थान दिया गया है।
राहत इंदौरी की कलम से जो जादू बहता है, वह एक अलग एहसास कराता है। सच में राहत जी को पढ़कर जो 'राहत' और सुकून मिलता है, वह कहीं ओर नहीं। उनके लिखने की एक अलग अदा है जिसकी छीटें हर उस शख्स की रूह को भिगो देती हैं जो उन्हें ज़रा भी पढ़ ले।
इंदौरी जी कहते हैं :
‘रोज़ तारों को नुमाईश में ख़लल पड़ता है
चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है
उसकी याद आयी है सांसों ज़रा अहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है.’
उन्होंने अपने दिल से लिखा है उसे लोगों ने रूह से महसूस किया है। वे शांत हैं, उत्सुक हैं, खोजी हैं, जानकार हैं; उन्होंने ज़िंदगी की नसों को जाना है, समझा है। यही वजह है कि उनकी शायरी हर पहलू से जुड़ी है। यक़ीनन राहत इंदौरी शायरी में जीते हैं, शायरी में बहती हुई हवाओं पर तैर रहे हैं और उनके चाहने वाले भी खुशनसीब हैं।
उर्दू का मामूली तथा हिंदी का ज्ञान रखने वाले गैर उर्दू भाषी लोगों को भी यह आसानी से समझ में आ जाती है। ऐसे उर्दू शब्दों का हिंदी अर्थ शायरी के नीचे लिख कर यह काम संकलनकर्ता ने आसान कर दिया है। वास्तव हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में से किसी एक का ज्ञान रखने वालों के लिए यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी है।
राहत साहब की शायरी का एक मोती :
‘शाखों से टूट जाये वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।’
जानेमाने कवि गोपालदास नीरज ने राहत इंदौरी साहब के बारे में कहा है :
‘राहत ने जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर जो ग़ज़लें कही हैं, वो हिंदी-उर्दू की शायरी के लिए एक नया दरवाज़ा खोलती हैं. नये रदीफ़, नयी बहार, नए मजमून, नया शिल्प उनकी गज़लों में जादू की तरह बिखरा है जो पढ़ने व सुनने वाले सभी के दिलों पर छा जाता है.’
इंदौरी जी जीवन की हक़ीकत को अपनी शायरी के माध्यम से हमारे सामने लाये हैं। उन्होंने इसके लिए शब्दों के साथ अपने विचारों को वास्तविकता में मिलाकर जो समागम किया है वह अद्भुत है।
राहत साहब की उम्दा शायरी को देखें :
‘सबके दुख-सुख उसके चेहरे पर लिखे पाए गए
आदमी क्या था हमारे शहर का अखबार था।‘
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‘बहुत कांटों भरी दुनिया है लेकिन
गले का हार होती जा रही है।‘
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‘मैं उस मुहल्ले में एक उम्र काट आया हूं
जहाँ पर घर नहीं मकान मिलते हैं।‘
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‘ख़ुद को पत्थर सा बना रखा है कुछ लोगों ने
बोल सकते हैं मगर बात ही कब करते हैं।‘
इस पुस्तक में ने राहत साहब के द्वारा लिखे फ़िल्मी नगमों का भी जिक्र किया गया है। उन्होंने ‘घातक’,’मैं खिलाडी तू अनाड़ी’,’इश्क’,’मर्डर’,’मुन्ना भाई एमबीबीएस’ आदि के लिए गीत लिखे जो आज भी ताज़ा हैं।
शायरी के शौक़ीनों के लिए राहत जी का यह तोहफ़ा है जिसे सहेज कर रखा जाना चाहिए।
'दो कदम और सही : नुमाइंदा शायरी’
संकलन एवं संपादन : सचिन चौधरी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 253
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