शूरवीर : परमवीर चक्र विजेताओं की रोचक और दिलचस्प कहानियां जो प्रेरणा से भरी हैं

लेखक इतिहास को दस्तावेज बनाते हैं, ताकि अगली पीढ़ी देश के साथ होने वाले युद्ध के बारे में जान सके.

हम जब वीरों की कहानियां सुनते हैं तो उत्साहित हो जाते हैं। हमारा देश प्रेम चरम पर स्वत: हो जाता है। रचना बिष्ट रावत की पुस्तक ‘शूरवीर : परमवीर चक्र विजेताओं की कहानियां’ पढ़ने के बाद पाठक उन परम वीर चक्र विजेताओं को करीब से जान पाता है जिनके विषय में वह एक साथ इतना कहीं नहीं जान सकता। यह पुस्तक अंग्रेजी में चर्चित पुस्तक 'द ब्रेव (The Brave)' का हिंदी अनुवाद है जिसे राजेन्द्र सिंह नेगी ने बहुत ही संजीदगी से किया है। नेगी ने भाषा को सरल रखा है।

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रचना बिष्ट की किताब ‘शूरवीर’ युद्ध में भाग लेने वाले शहीदों पर आधारित है। वे किताब लिखने से पहले शहीदों के गांव गयीं और उनके परिवार वालों से मिलीं। साथ ही उन्होंने उन ग्रामीणों से भी बात की जो उन जांबाज़ों को जानते थे।

रचना भारत-पाक युद्ध पर दो किताबें ‘शूरवीर’ और ‘1965 : भारत-पाक युद्ध की वीरगाथाएं’ लिख चुकीं हैं। वे कहती हैं,‘लेखक इतिहास को दस्तावेज बनाते हैं, ताकि अगली पीढ़ी अपने देश के साथ होने वाले युद्ध के बारे में जान सके।’

रचना बिष्ट लिखती हैं :
‘यह किताब सड़क के उस दूसरे छोर को दर्शाती है, जो मुझे युद्ध से ज़िन्दा लौटे और अब रिटायर हो चुके सिपाहियों की तलाश में पीले सरसों और धूप में पक रहे सुनहरी गेहूं के खेतों तक ले गयी। पेड़ की छांव के नीचे खटिया पर बैठकर, मैंने उनके साथ उनके विचारों और भोजन को बांटा। यह किताब मुझे तवांग में सेला दर्रे के पार ले गयी, जहां सर्दियों में पूरी की पूरी झील जम जाती है। मैं बुमला गई, जहां सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 की लड़ाई में गोलियां खत्म होने पर संगीनों से मुकाबला किया था; जहां सिपाहियों के पास लड़ने के लिए साहस के अलावा कुछ और नहीं था। मैं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले भी गई, जहां सफेद गुलाब खिलते हैं और जहां धौलाधार की बर्फ से ढंकी पहाड़ियां मेरे साथ-साथ कैप्टन विक्रम बत्रा के घर तक चलती रहीं, जहां उनके पिता पश्मीना शॉल ओढ़े बैठे थे। यह किताब मुझे लद्दाख के सिरिजाप भी ले गई जहां मेजर धान सिंह थापा ने अपनी खुखरी से दुश्मनों की गर्दनें हलाक की थीं। मैं चुशूल में बर्फीले रेज़ांग ला गई, जहां 13 कुमाऊं के मेजर शैतान सिंह और उनके 113 साथियों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था, जब भारी तादाद में दुश्मन ने उनपर हमला बोल दिया था। वे मारे गये क्योंकि उन्हें आदेश मिला था : तुम आखिरी आदमी और आखिरी गोली के खत्म होने तक लड़ते रहोगे।’

यह पुस्तक हमें प्रेरित करती है ताकि लोग उस जज़्बे को जान सकें जिसके बल पर एक आम इंसान सिपाही बनकर देश की रक्षा के लिए खुद को कुर्बान करने से नहीं कतराता।

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किताब में 21 जांबाजों के अदम्य साहस की सच्ची कहानियां हैं जो इस रोचकता और दिल से लिखी गयी हैं कि ऐसा लगता है जैसे सब हमारी आंखों के सामने घट रहा हो।

परमवीर चक्र विजेताओं की सूची जिनका किताब में ज़िक्र है:
1.सोमनाथ शर्मा 2.करम सिंह 3.रामा राघोबा राणे 4.पीरु सिंह शेखावत 5.गुरबचन सिंह सलारिया 6.धन सिंह थापा 7.जोगिन्दर सिंह 8.शैतान सिंह 9.अब्दुल हमीद 10.अर्देशिर बुर्जोर्जी तारापोर 11.एल्बर्ट एक्का 12.निर्मल जीत सिंह सेखों 13.अरुण खेत्रपाल 14.होशियार सिंह 15.बाना सिंह 16.रामास्वामी परमेस्वरन 17.मनोज कुमार पाण्डेय 18.योगेंदर सिंह यादव 19.संजय कुमार 20.विक्रम बत्रा 21.जदुनाथ सिंह.

इस पुस्तक में हमें भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन, सियाचिन, कारगिल आदि की दिलचस्प मगर बहादुरी से लड़ी गयी युद्ध कहानियां मिलेंगी। यह पुस्तक हमारे संग्रह में जरुर होनी चाहिए क्योंकि इसके पन्ने प्रेरणा देते हैं।

किताब कहती है :20,000 फुट की उंचाई और शून्य से कहीं नीचे तापमान पर लड़ना कितना मुश्किल होता है? कैप्टन विक्रम बत्रा ने क्यों कहा कि ये दिल मांगे मोर? जो फौजी लौट कर नहीं आ पाते उनकी बीवियां और प्रेमिकाएं किस तरह इस सदमे को बर्दाश्त कर पाती हैं? क्या होता है जब वही आपका दुश्मन हो जाये, जिसे आपने ट्रेनिंग दी हो? उत्तर प्रदेश के एक देहाती ने टैंक उड़ाने में कैसे महारथ हासिल की? रोचक और प्रेरित करने वाली, 'शूरवीर' परम वीर चक्र विजेताओं पर एक बेहद दिलचस्प किताब है.

रचना बिष्ट रावत ने पत्रकारिता की शुरुआत 'द स्टेट्समैन' से की। उन्होंने डेक्कन हेरल्ड, इंडियन एक्सप्रेस, आउटलुक, फेमिना आदि के साथ काम किया और खूब लिखा। रचना पहली भारतीय हैं जिन्हें 2005 में हैरी ब्रिटेन फेलो के लिए चुना गया। 2006 में उन्हें कॉमनवेल्थ प्रेस क्वार्टर्लीज़ रोल्स रॉयस अवार्ड दिया गया।


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'शूरवीर : परमवीर चक्र विजेताओं की कहानियां'
लेखिका : रचना बिष्ट रावत
अनुवाद : राजेन्द्र सिंह नेगी
प्रकाशक : पेंगुइन बुक्स
पृष्ठ : 254
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