मेरा राम मेरा देश : राम की गाथा के बीच भारतीय इतिहास

कपोल कल्पनाओं तथा दैनिक शक्तियों की उपस्थिति के बजाय विश्वसनीय तथा एतिहासिक स्तर को बनाये रखा.

युगपुरुष दशरथ पुत्र राम को विपरीत परिस्थितियों और भाग्यहीनता के बीच संघर्ष ने इंसान से भगवान बना दिया। पूरे भारत राष्ट्र को सूत्र में बांधने और आर्य तथा द्रविड़ संस्कृतियों को एकाकार कर नवीन भारत के निर्माण का काम राम ने किया। लेखक संजय त्रिपाठी ने 'मेरा राम मेरा देश’ पुस्तक में उपरोक्त तथ्य को भली भांति समझाने का प्रयास किया है।

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लेखक ने पुस्तक में राम को एक राजकुमार के जीवन से विद्याधन, कुल मर्यादा, स्वयंवर, वनवास, सीता विछोह, राम रावण युद्ध तथा पुनः सीता को वनवास तक पाठकों के सामने पेश किया है। उसमें कपोल कल्पनाओं तथा दैनिक शक्तियों की उपस्थिति के बजाय विश्वसनीय तथा एतिहासिक स्तर को बनाये रखा है।

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वाल्मीकि रामायण से लेकर तुलसी के रामचरित मानस तक राम के बारे में न जाने कितने ग्रंथ लिखे जा चुके। सभी में उन्हें अवतारी महापुरुष बल्कि कई जगह साक्षात परमेश्वर तक बताया गया लेकिन संजय त्रिपाठी ने 'मेरा राम मेरा देश’ नामक पुस्तक में राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ सांस्कृतिक रुप से विभाजित भारत देश को एकता के सूत्र में बांधने वाला महापुरुष सिद्ध किया है।

उनका कहना है कि राम विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए जिस प्रकार अपने मंतव्य में सफल हुए वह ईश्वर के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन एक सांसारिक मानव के लिए बहुत बड़ी बात है। इसी से वे साक्षात परमात्मा न होते हुए भी महान कार्यों से संसार में भगवान बन गये।

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'मेरा राम मेरा देश'
लेखक : संजय त्रिपाठी
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 334
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