‘एक कहानी जिसके केंद्र में है मुहब्बत की दास्तान जो हमें मजबूर कर देती है कि हम अपने ऊपर और मानसिक संतुलन की अपनी धारणा के ऊपर सवाल उठायें और विश्वास करें कि ज़िंदगी असल में वैसी ही होती है जैसी आप इसे बनाते हैं.’
प्रीति शेनॉय की पुस्तक ‘जिंदगी वो जो आप बनायें’ उनके अंग्रेजी उपन्यास ‘लाइफ इस व्हाट यू मेक इट’ का हिंदी अनुवाद है। इसका अनुवाद शुचिता मीतल ने किया है।
यह किताब हमें एक अलग सफ़र पर ले जाती है जहां एक लड़की खुद से लड़ती है, और अंत में वह विजेता बनकर उभरती है।
अंकिता के सपने हैं। वह शिखर तक जाना चाहती है। कॉलेज की जिंदगी, प्यार के छीटें और दोस्तों का साथ। सब कुछ सही चलता है लेकिन एक दिन अंकिता असहाय हो जाती है। वह पढ़ने की क्षमता खो चुकी थी।
किताब में एक जगह देखें :‘यह ऐसा था जैसे किसी ने मेरे दिमाग के किसी ऐसे अहम हिस्से को बंद कर दिया हो जो पढ़ने, समझने और सोचने तक को नियंत्रित करता था। मैं एक टूटे खिलौने जैसा महसूस कर रही थी। वह ज़िंदगी खो चुकी थी जिसे मैं जानती थी, और अपनी जगह उसने मुझे यह मज़ाक थमा दिया था।‘
बाइपोलर डिसऑर्डर से अंकिता ग्रसित हो जाती है। वह आत्महत्या के प्रयास भी करती है।
इस किताब के माध्यम से प्रीति ने हमारा ध्यान ऐसे रोग की ओर आकर्षित किया है जो किसी को भी हो सकता है और इसका पता आसानी से नहीं लगता।
प्रीति कहती हैं :‘यह आमतौर से किशोरावस्था के अंतिम या वयस्कता के शुरूआती दौर में होता है। इसके लक्षण बहुत गंभीर होते हैं, और सामान्यत: इसकी पहचान करना मुश्किल होता है। इसके लक्षण अक्सर व्यक्तित्व के सामान्य बदलावों जैसे होते हैं जिन्हें इंसान अपनी रोज़ाना की जिंदगी में अनुभव करता है। उन्मादी अवस्था में व्यक्ति बहुत ज्यादा प्रसन्न, ज़िंदादिल और उच्च उर्जा स्तर से भरा महसूस करता है। रचनात्मकता पूरे चरम पर होती है। इसके विपरीत, अवसाद की अवस्था में एक ऐसे मूल्यहीनता या खालीपन की तीव्र भावना मन में आ जाती है जिसका वर्णन करना कठिन होता है।‘
कहानी आपको समय-समय पर भावुकता की चादर में लपेट लेती है। शायद कुछ जगह आप इस तरह भावनाओं में बह जायें कि आपकी आंखें नाम हो जायें। यक़ीनन प्रीति शेनॉय ने हर शब्द को महसूस कर लिखा होगा, और उसे पाठक भी महसूस होकर पढ़ेगा। ऐसा असर छोड़ने वाले लेखक कम हैं।
प्रीति शेनॉय के पास एक ऐसी कूची है जिससे वे साहित्य में आसानी से रंग भर सकती हैं। वे हमें ऐसे कहानियां सुनाना चाहती हैं जिन्हें सुनना जरुरी जन पड़ता है। शुचिता मीतल के हिंदी अनुवाद ने कहानी में नयी जान डाल दी है। उन्होंने अंग्रेजी से हिंदी में रूपांतरित करते हुए हर बारीकी का ध्यान रखा है। कहानी का बहाव उसी तरह बहता है जैसे मूल भाषा में लिखा गया है।
इस पुस्तक के आवरण में भी कई कहानियां हो सकती हैं। यह आप पर निर्भर करता है आप उसे किस तरह देखते हैं। खुद से जीतने के बाद की ख़ुशी और नयी जिंदगी की शुरुआत।
ज़िन्दगी से प्यार करना ज़िन्दगी को जीना ही है। ज़िन्दगी से रुठना ज़िन्दगी को दुख पहुंचाना है। यह एहसास कि हम यहां जितना खुशियां बांट सकें हमें ज़िन्दगी को जीने की असली वजह देगा। क्यों न हम प्रीति शेनॉय को पढ़ें और उनसे ज़िन्दगी के कुछ मजेदार किस्से सुनें ताकि हमारी बोझिल लगने वाली सोच में बदलाव आ सके और एक नया हौंसला मिल सके जीने का। लेखिका ने हमें हमसे रूबरू कराया है। उन्होंने बताया है कि ख़ामोशी से विचार कर खुद से मिला जा सकता है, खुद को जाना जा सकता है। यह एक सुखद एहसास है।
भावनाओं को खुद से लिपट जाने दो और एहसास कराओ खुद को कि ज़िन्दगी वाकई बेहद खूबसूरत है...

‘ज़िन्दगी जो आप बनायें’
लेखक : प्रीति शेनॉय
अनुवाद : शुचिता मीतल
प्रकाशक : वेस्टलैंड/यात्रा बुक्स
पृष्ठ : 246
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