प्रेम कहानियां अक्सर भावुक कर जाती हैं। कई बार उपन्यासों में हम खुद को भुला देते हैं, और कई बार फ़्लैश-बैक डरावना होता है। निकिता सिंह के उपन्यास ‘एवरी टाइम इट रेन्स’ की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि इंसान के लिए प्यार और अपनों के क्या मायने हैं।
दिल्ली में बिज़नेस को अच्छी तरह संभाल रहीं दो दोस्त लैला और माही बहुत व्यस्त जीवन व्यतीत कर रही हैं। उन्हें अपने काम में मज़ा आता है और वे दूसरी बातों पर ध्यान नहीं देतीं। लैला का एक अपना अतीत है। वह उससे उबर रही है। माही को उसके बीते वक्त के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है, लेकिन ऐसा मौका आता है जब लैला अपने पुराने दिनों को याद करती है। उसके बाद कहानी रोचक मोड़ लेती है।
निकिता ने जिस तरह कहानी को बुना है, वह पाठक को बांधे रखता है। उनके पास अनेक किस्से हैं, जिनका इस्तेमाल वे बखूबी करती हैं। उनके पास वे शब्द हैं जिनकी उपयोगिता वे अच्छी तरह जानती हैं। साथ ही निकिता के पास वह कारीगरी है जिसकी वजह से वे अपने वाक्यों में रोमांस भर पाती हैं। उनके पात्र जो संवाद बोलते हैं जिन्हें वे बड़ी चतुराई से चुनती हैं।
कहानी में लैला के जीवन में 'जेडी' नाम का शख्स आता है। उनकी पहली मुलाकात भी अजीब ढंग से होती है। उस दृश्य को निकिता ने शानदार तरीके से लिखा है।
अब उसे ऐसा नहीं लग रहा था कि कुछ खो गया है. उसे वह सब उसमें मिल गया जो वह चाहती थी. भरोसे और निडरता के साथ वह जिंदगी में किसी भी नए आश्चर्य के लिए तैयार थी.
लैला के सामने कई समस्याएं हैं। वह प्यार को अपने से दूर भेज चुकी थी और फिर से वह वहां नहीं जाना चाहती। मगर उसने खुद को मनाया ताकि वह फिर से प्यार कर सके। वह उस जिंदगी की मिठास को दोबारा जीने की चाह को गवां चुकी थी, लेकिन जेडी से मिलने के बाद उसने उस अधूरेपन को दूर किया। कई बार उसके मन में कुछ सवाल थे जिनका जवाब उसे मिल नहीं रहा था। लेकिन समय के साथ उसका अतीत भी बीतता जा रहा था। वह प्यार की ताकत को समझ चुकी थी।
निकिता ने 25 की उम्र तक आते-आते दस उपन्यास लिखे हैं। अपने पहले उपन्यास से ही हर बार उनमें परिपक्वता आई है। यह कहना गलत नहीं कि उनका लेखन डूब कर किया गया कार्य है। खूबसूरती से कहानियों में प्यार के रंग भरना निकिता जानती हैं। उनके पात्र वही सब हैं जिनसे हम दो-चार होते रहते हैं।
‘एवरी टाइम इट रेन्स’ के आखिर में लिखा है कि अब लैला को बारिश से छुपने की जरुरत नहीं थी। अब उसे ऐसा नहीं लग रहा था कि कुछ खो गया है। उसे वह सब उसमें मिल गया जो वह चाहती थी। भरोसे और निडरता के साथ वह जिंदगी में किसी भी नए आश्चर्य के लिए तैयार थी।
निकिता की इस कहानी ने उन लोगों को नयी जिंदगी देने की कोशिश की है जो अतीत के काले पन्नों में बहकर अपना जीवन बोझिल कर देते हैं। यह प्यार, कशमकश और विचारों की कहानी है। एक अच्छा सन्देश देने का प्रयास है कि जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है।
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