अयोध्या का राजकुमार: रामायण जो अलग ढंग से रची गयी

‘अयोध्या का राजकुमार’ पढ़ने के बाद आप अशोक बैंकर की कला की तारीफ जरुर करेंगे.

‘मूल रामायण लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व लिखी गयी थी। अब असाधारण कल्पना और कहानी कहने की बेहतरीन कला के द्वारा अशोक के. बैंकर ने आज के आधुनिक पाठकों के लिए इस महाकाव्य को दोबारा प्रस्तुत किया है।’

अशोक बैंकर की ‘दशराजन’ पुस्तक पढ़ने के बाद मुझे लगा कि उनकी दूसरी किताब पढ़नी चाहिए। दशराजन टैन किंग्स का हिन्दी अनुवाद है। सच कहूं तो यह किताब अब तक की सबसे मजेदार किताब रही मेरे लिए। उसकी समीक्षा भी जल्द पोस्ट करुंगा। दशराजन को मैंने बहुत तेजी से पढ़ा। अनुवाद की भाषा आपको बोझिल नहीं लगती। उसी तरह ‘अयोध्या का राजकुमार’ भी लिखी गयी है।

अमिश भी रामायण श्रंखला पर 'इश्वाकु के वंशज' लिख चुके हैं। अब श्रंखला की दूसरी पुस्तक 'सीता' भी आ रही है। अशोक बैंकर की कला अमिश से अलग है, लेकिन दोनों को पढ़ने में आनंद आता है। ‘अयोध्या का राजकुमार’ पढ़ने के बाद आप बैंकर की कला की तारीफ जरुर करेंगे।

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अयोध्या का राजकुमार : अशोक के. बैंकर.

अशोक बैंकर लिखते हैं -‘मैं स्पष्ट कर दूं। यह वाल्मीकि की कहानी नहीं है। न ही कंबन या तुलसीदास की कहानी है। व्यास या आर.के. नारायण की भी कहानी नहीं है, न ही यह राजाजी का आकर्षक और संक्षिप्त बाल संस्करण है।’

‘यह राम की कहानी है। और राम की कहानी हम में से प्रत्येक से संबंधित है। चाहे काले हों, भूरे हों, श्वेत हों या वर्णहीन हों। बूढ़े हों या युवा हों। पुरुष हों या महिला हों। हिन्दू, इसाई, मुस्लिम, या जो भी धर्म आप मानते हों। पत्रकार वार्ता में मुझे बाबरी मस्जिद विध्वंस तथा मेरी रामायण के उससे संबंध के बारे में पूछा गया। मेरा उत्तर था कि रामायण तीन हजार वर्षों से चली आ रही है, और अनंत काल तक चलती रहेगी। मेरे विचार में, अयोध्या उत्तर-मध्य उत्तर प्रदेश का एक स्थान मात्र नहीं है। वह हमारे दिलों में स्थित है। और सबसे पवित्र स्थानों में यह हमेशा चमकीले और सुन्दर स्वरुप में बनी रहेगी, प्रतिष्ठित ईंटों का कोई मंदिर उसके जैसा उज्जवल नहीं हो सकता।’

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अशोक बैंकर में यह खास बात देखी जा सकती है जब आप उन्हें अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य भाषा में पढ़ते हैं तो आप उनकी शैली के साथ दौड़ते हैं। वे मंद हैं, तो पाठक की गति धीमी है। वे तेज हैं, तो आप भी उसी प्रकार उनके साथ कदमताल करते हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि कोई लेखक अपने शब्दों के भाव को सीधे पाठक से जोड़ता है। एक प्रवाह ऐसा जिसे पढ़कर पाठक खुद को लेखक को समर्पित कर बैठता है। वह मजबूर होकर नहीं बल्कि स्वयं प्रसन्नतावश ऐसा करता है क्योंकि पढ़ते हुए मन जो लगता है।

करीब 500 पन्नों का यह उपन्यास आपको ऐसे काल में ले जायेगा जहां आप निश्चिंत होकर सैर पर होंगे। और सैर कराने वाले अशोक के. बैंकर हैं।

रामायण श्रंखला के इस पहले भाग में यह भविष्यवाणी की गयी है कि योद्धाओं और ऋषियों की प्रसिद्ध राजधानी अयोध्या, जल्द ही रक्त से नहा जायेगी और राख के ढेर में बदल जायेगी। केवल अयोध्या के राजकुमार राम इस मारकाट की विभीषिका को रोक सकते हैं। क्या राम का साहस दैत्यों के आक्रमण को रोकने तथा अयोध्या को बचाने हेतु पर्याप्त था?

बैंकर की यह कहानी बारीकियों को दिखाती है। लेखक हर चीज पर नजर बनाये रहते हैं। वे समय और भावों को बेजोड़ तरीके से लिखने में दक्ष हैं। पात्रों के संवाद आपको जोड़े रखते हैं। कई बार आप उन्हें भावों के साथ पढ़ते-पढ़ते बोल भी उठ सकते हैं।

रामायण श्रंखला का दूसरा भाग ‘मिथिला का संकट’ आगे की कहानी है।

अशोक के. बैंकर की 20 लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। 58 देशों में 16 से अधिक भाषाओं में उनकी किताबों का अनुवाद हो चुका है।


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