पढ़ना एक लत की तरह है। हम किताबों से इतना लगाव कर बैठते हैं कि खुद को उनमें घुला हुआ पाते हैं। मेरे साथ भी लंबे समय से ऐसा होता रहा है, मगर मैंने खुद को उनमें डुबोया है, पात्रों को अपने आसपास तैरता हुआ पाया है। भीगा हूं मैं भी उड़ती भावनाओं में। हर शब्द को महसूस करने की कोशिश की है। मैं खोया हूं, बहा हूं, लेकिन किताबों के बाहर भी एक दुनिया है, उसे नहीं भूला।
रोंडा बर्न की चर्चित किताब ‘रहस्य’ पढ़ने के बाद खुद पर यकीन करना मुश्किल है। क्या हम सबकुछ हैं, या हम कुछ भी कर सकते हैं!
किताब तो ऐसा ही कहती है।
किताब कहती है:
‘आपके पास हर चीज को बदलने को शक्ति है, क्योंकि आप ही तो अपने विचारों को चुनते हैं, आप ही तो अपनी भावनाओं को महसूस करते हैं।’
‘ब्रह्मांड आपकी मनचाही चीज आप तक पहुंचाने के लिए खुद को दोबारा व्यवस्थित करने लगेगा।’
‘यह कैसे होगा या ब्रह्मांड उस चीज को आप तक कैसे पहुंचायेगा, यह चिंता करना आपका काम नहीं है। यह तो ब्रह्मांड का काम है। उसे अपना काम करने दें।’
‘चीजों को इस तरह देखें, जैसे आपकी मनचाही चीज़ें इसी वक्त आपको मिल चुकी हैं। विश्वास रखें कि वे चीजें जरुरत के वक्त आपके पास आ जाएंगी। बस उन्हें आने दें। उनके बारे में चिंता न करें या परेशान न हों। उनकी कमी के बारे में न सोचें। उनके बारे में इस तरह सोचें, जैसे वे आपकी हो चुकी हैं, आप उनके हकदार हैं और मालिक हैं।’
‘जिस पल आप मांगते हैं, अदृश्य शक्तियों में यकीन करते हैं और यह महसूस करते हैं कि आपकी मनचाही चीज पहले से ही आपके पास है, उसी पल पूरा ब्रह्मांड सक्रिय होकर आपकी कल्पना को साकार करने में जुट जाता है। ....क्योंकि ब्रह्मांड एक आईना है और आकर्षण का नियम आपके प्रबल विचारों को साकार करके आप तक पहुंचाता है।’
‘यह ब्रह्मांड भावनाओं से संचालित है। अगर आप सिर्फ बौद्धिक दृष्टि से किसी चीज में यकीन करते हैं, लेकिन आपके मन में उसके अनुरुप भावना नहीं है, तो हो सकता है कि आपके आग्रह में इतनी शक्ति न हो कि आप अपनी मनचाही चीज को अपने जीवन में साकार कर सकें। आपको इसे करना होता है।’
किताब यहां क्लिक कर खरीदी जा सकती है >>
‘ब्रह्मांड हर चीज बिना कोशिश के करता है। घास उगते समय तनाव में नहीं आती है। यह प्रयासहीन होता है। यही तो महान योजना है।’
‘ब्रह्मांड में देरी का कोई नियम नहीं है। आप मनचाही चीज इसी समय पाने की भावनाएं ले आएं; ब्रह्मांड फौरन प्रतिक्रिया करेगा -चाहे वह चीज जो भी हो।’
मुझे पाउलो काॅहलो की ‘अलकेमिस्ट’ का वह वाक्य याद आ गया जिसमें वे लिखते हैं:
‘अगर कोई चीज दिल से चाहो तो पूरा ब्रह्मांड आपको उससे मिलाने की कोशिश में लग जाता है।’
वो अलग बात है कि एक हिन्दी फिल्म में पाउलो के शब्दों को लेकर एक मशहूर डायलॉग बन गया था, जिसके लिए संवाद लेखक को पुरस्कार भी मिला।
रहस्य की लेखिका रोंडा बर्न ने दुनियाभर के चिंतकों, विचारकों के कथन लिखकर एक अलग तरह के ‘रहस्य’ से हमें अगवत कराया है।
मैं समझता हूं कि इस किताब ने इंसान को अलग तरह से परिभाषित करने की कोशिश की है। जब किताब के पहले पन्ने से शुरु करते हैं, तो झपकी आने तक पढ़ सकते हैं।
शुरु में मैंने पढ़ने और लत का जिक्र किया था। वास्तव में किताबों का शौक रखने वाले ऐसे हो सकते हैं। वे खुद से अधिक कोरे पन्नों पर उकेरे गये शब्दों को सहेजने में यकीन रखते हैं।
सच में किताबों की दुनिया और हमारी दुनिया हमको हमसे खोजने में मदद कर रही है। हम खुद को पहचान पायें ताकि जिंदगी एक नयी कहानी लिखे!